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इक खामोश - सी नज़र !
दीये की टिम-टिमाती लौ
जैसा है मद्धम जलता बल्ब !
घर , आँगन , दीवारें खपरैल !
सब कुछ हैं – खामोश !
चुपचाप ! प्रतीक्षारत मन !
किसी पदचाप की आहट पर
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