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तुम कब आओगे !

R N ShuklaR N Shukla October 30, 2022
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इक खामोश - सी  नज़र ! 
दीये की टिम-टिमाती लौ 
जैसा है मद्धम जलता बल्ब !
घर  , आँगन , दीवारें  खपरैल !
सब कुछ  हैं  –  खामोश !
चुपचाप ! प्रतीक्षारत मन !
किसी पदचाप की आहट पर 

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