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एक हैं हम नेक हैं हम–
मृदुल है झंकार! अपनी
उषः हो या हो निशा
हम करेंगे अमृत वर्षण!
एक गंगा , एक हिम है
एक ही धरती गगन है
एक ही उद्गम है अपना
एक ही ईश्वर हमारा।
बात को हम जानते हैं
तथ्य को पहचानते हैं
फिर,हम'विष'धारण क्यूँ क
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