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घृणा क्रोध विध्वंस द्रोह
स्वार्थों की लोलुपता!
सद्वृत्तियों का ह्रास व
अधिकारों की लिप्सा!!
मानव इनमें फँसकर–
अपना ही सबकुछ
खोता रहता है
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घृणा क्रोध विध्वंस द्रोह
स्वार्थों की लोलुपता!
सद्वृत्तियों का ह्रास व
अधिकारों की लिप्सा!!
मानव इनमें फँसकर–
अपना ही सबकुछ
खोता रहता है
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