
Share0 Bookmarks 75 Reads0 Likes
जन-ध्वनि को सुनते ही नहीं ये
बेक़द्रदानी ही करते जा रहे हैं
पूरी सल्तनत,कदमों में इनकी
बड़े ही बेपरवाह होते जा रहे हैं।
वादों से पलटना काम इनका
भूलकर भी न ले तू नाम इनका
कभी भी मत गहो तुम बाँह इनका
अधिकार-लिप्सा, भोग लिप्सा
है भरा इनके ज़ेहन में
पापमय कर्मों में ही
संलिप्त होते जा रहे हैं।
दोमुँहे
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments