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रक्षक ही भक्षक बन चुके हैं!

R N ShuklaR N Shukla October 1, 2021
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जन-ध्वनि को सुनते ही नहीं ये

बेक़द्रदानी ही करते जा रहे हैं

पूरी सल्तनत,कदमों में इनकी

बड़े ही बेपरवाह होते जा रहे हैं।


वादों से पलटना काम इनका

भूलकर भी न ले तू नाम इनका

कभी भी मत गहो तुम बाँह इनका

अधिकार-लिप्सा, भोग लिप्सा

है भरा इनके ज़ेहन में

पापमय कर्मों में ही 

संलिप्त होते जा रहे हैं।


दोमुँहे

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