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मत रोको मुझे
जाने दो !
धरती से जुड़ा है
अस्तित्व मेरा !
मुझे जमीन से –
जुड़ जाने दो !
मत रोको मुझे
जाने दो !
गाँव की मिट्टी में –
छुपा है मेरे
जीवन का सौंदर्य !
उसे निखर जाने दो !
मत रोको मुझे –
जाने दो !
पर्वत – पठारों से ,
सरिता – सागर से ,
झील – झरनों से ,
वनों और जंगलों से ,
जुड़ा है प्राण ! मेरा
इन सब से –
घुल-मिल लेने दो !
मत रोको मुझे -
जाने दो !
गरीब किसानों से ,
मजबूर मजदूरों से ,
झोपड़पट्टियों में –
शोषण और कुपोषण के
शिकार बने – नौनिहालों से
प्यार है मुझे !
उनसे मिल आने दो !
वहीं इन सब पर –
गिद्धदृष्टि ! डालती –
कातिल निगाहों से –
दो – चार हाथ –
कर आने दो !
मत रोको मुझे –
जाने दो !
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