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मधुर संभाषणों में , जान बसती है हमारी !
बताओ क्यों कसैले बीज , बोना चाहते हो ?
जरा सा पास आ जाओ हमारे
क्यों मुझसे दूर जाना चाहते हो ?
कभी फुर्सत के लम्हों को चुरालो व्यस्तताओं से
मिलो दिल खोलकर अपनो के दिल से मस्त हो जाओ !
ये जीवन कुछ क्षणों का है इसे अपनो के संग जी लो
क्यूँ अपनी जिंदगी में गमों का बीज बोना चाहते हो ?
चलो हम मान लेते हैं सभी आपत्तियां तेरी
चलो हम मान लेते हैं हमीं में गलतियां सारी
खतायें माफ कर मेरी, जरा आ पास तो बैठो
क्यूँ मेरे दिल के पुष्पों के –
परागों को मसलना चाहते हो ?
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