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गाँव की गलियां भी
करती हैं इंतजार तेरा
पगडंडियों तक को
याद है प्यार तेरा
नदी के कछार पुकारते हैं तुम्हें
हर पल हर घड़ी, इन साँसों को
रहता है इंतजार तेरा।
कह कर चले गए थे–
जल्द लौट आओगे
लौट कर नहीं आये
क्या यही है प्यार तेरा ?
तेरे लौट आने की राह तकते-तकते
जीवन के आधे बसन
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