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वह एक 'स्त्री'!
सहनशीलता की प्रतिमूर्ति!
तू एक पुरुष!
इतना उदण्ड!
उसके अधिकारों का–
किया क्रूरतमअपहरण!
माँ के 'गर्भ'में पला
उसके आँचल में हँसा
फिर,साथ पाया प्रिया का
खेलता रहा उसकी–
कोमल भावनाओं संग।
करता रहा स्वार्थ-पूर्ति–
अपनी वासनाओं की
छलता रहा जीवन भर
फिर भी वह चलती रही
तेरा साथ देती रही–
ताउम्र भूलत
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