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आ भी जाओ कि चाँद छुपने को है !

R N ShuklaR N Shukla April 8, 2022
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मुद्दतों हुए तुमसे मिले मुझे ,

इक तेरी याद है कि जाती ही नहीं ।

गुमाँ बहुत था मुझे; तुझे भूल जाने का ,

पर , ये दिल भी क्या चीज़ है कि भूलता ही नहीं

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