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समंदर खामोश हैं क्यों
आसमान इतना साफ क्यों हैं
हवाएं सांस रोक रखी हैं क्यों
मौसम इतना उदास क्यों हैं
हैं मातम तेरे जाने का
या बस खुदा का कोई चाल हैं
चांद छुप गया हैं क्यों
ये रात स्याह क्यों हैं
कोई आया हैं सुलाने मुझे
या फिर तेरी यादों का शोर हैं
ये दरख़्त लोरी गाती हैं क्यों
इन पत्तो का विलाप क्यों हैं
मैं गिरफ्त में हूं अंधेरे की
मुझे रोशनी की तलाश हैं
तारे बस टिमटिमा रहे हैं क्यों
जुगनुवें क़ैद में क्यों हैं
तेरे होने का आभास हैं क्यों
तेरे लौट आने का उम्मीद क्यों हैं
सुबह का इंतजार हैं क्यों
वक्त में इतना ठहराव क्यों हैं।
आसमान इतना साफ क्यों हैं
हवाएं सांस रोक रखी हैं क्यों
मौसम इतना उदास क्यों हैं
हैं मातम तेरे जाने का
या बस खुदा का कोई चाल हैं
चांद छुप गया हैं क्यों
ये रात स्याह क्यों हैं
कोई आया हैं सुलाने मुझे
या फिर तेरी यादों का शोर हैं
ये दरख़्त लोरी गाती हैं क्यों
इन पत्तो का विलाप क्यों हैं
मैं गिरफ्त में हूं अंधेरे की
मुझे रोशनी की तलाश हैं
तारे बस टिमटिमा रहे हैं क्यों
जुगनुवें क़ैद में क्यों हैं
तेरे होने का आभास हैं क्यों
तेरे लौट आने का उम्मीद क्यों हैं
सुबह का इंतजार हैं क्यों
वक्त में इतना ठहराव क्यों हैं।
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