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समंदर खामोश हैं क्यों
आसमान इतना साफ क्यों हैं
हवाएं सांस रोक रखी हैं क्यों
मौसम इतना उदास क्यों हैं
हैं मातम तेरे जाने का
या बस खुदा का कोई चाल हैं
चांद छुप गया हैं क्यों
ये रात स्याह क्यों हैं
कोई आया हैं सुलाने मुझे
या फिर तेरी यादों का शोर हैं
ये दरख़्त लोरी गाती है
आसमान इतना साफ क्यों हैं
हवाएं सांस रोक रखी हैं क्यों
मौसम इतना उदास क्यों हैं
हैं मातम तेरे जाने का
या बस खुदा का कोई चाल हैं
चांद छुप गया हैं क्यों
ये रात स्याह क्यों हैं
कोई आया हैं सुलाने मुझे
या फिर तेरी यादों का शोर हैं
ये दरख़्त लोरी गाती है
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