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ऐसा तो हरगिज़ नहीं की ये रात देखी हैं
इस से पहले ये हिज्र की रात नहीं देखी हैं
अब ये बिलाप उम्र भर के लिए हैं
तुझको रुखसत होते हुए जो देखी हैं
कौन ले सुध बिछड़े यार का
मैने तो बिरह में तड़पते लाश देखी हैं
हुई होगी इस्तिकबाल की तयारी कहीं और
यहां तो बस गाते हुए मर्सिया देखी हैं
होगी मेरी मय्यत भी खुशामद वाली
जब से उठते हुए तेरी डोली देखी हैं
और सुनाए क्या ख़बर दस्तांगो अब
जिसने अधूरी मोहब्बत की मुक्कमल दास्तां देखी हैं।
@Rahmat Dilshad
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