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चलो किस्सा वही हो
वही एक मुलाकात हो
तुम भी सिर्फ देखों
मैं भी सिर्फ़ देखूँ
और ना कोई बात हो
फिर से वही वहीँ
मिलने की कशमकश हो
फिर से वही
ना गुज़र पाने वाला दिन हो
फिर से वही
जल्दी ढल जाने वाली रात हो
चलो किस्सा वही हो
वही एक मुलाकात हो
रचना :पुष्पेंद्र पाल सिंह
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