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पानी वही रहेगा रेफ्रीजरेटर में हो या घड़ा में
तब क्यों फर्क बढ़ रहा केसरिया और हरा में
कोई दुनिया भर की दौलत लिए उदास है
और कोई यहांँ खुशी खुशी जी रहा जरा में
मूर्ख माता पिता शहर भेजा था पढ़ने के लिए
पढ़ा लिखा बेटा फर्क भूल गया छोटा बड़ा में
शमशान एक दिन सबको बराबर कर देगा
जाती भेद नहीं रहेगा कोई खड़ा और गड़ा में
अपने हक के लिए गर नहीं लड़ सकते तुम
"पुरु" जिंदा रहोगे मगर गिने जाओगे मरा में
×××
©पुरुषोत्तम
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