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इस ढलती उम्र में आँखों से मैकशी करती हो
बिना दांँत के तुम और ज्यादा हसीं लगती हो
यूंँ तो रंग-बिरंगे नए नोट आ गए हैं बाजार में
बावजूद चले तुम वो पुरानी करेंसी लगती हो
×××
©पुरुषोत्तम
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