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जहाँ सुकून मिले मुझे उस संसार ले चल
अगले जन्म भी रहूंँगा मैं बलिहार ले चल
छठ पर्व है मेरा तन यहांँ है और मन वहांँ<
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जहाँ सुकून मिले मुझे उस संसार ले चल
अगले जन्म भी रहूंँगा मैं बलिहार ले चल
छठ पर्व है मेरा तन यहांँ है और मन वहांँ<
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