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आ तेरे बालों में गजरा सज़ा दूंँ
आ तेरे आंँखों में सुरमा लगा दूंँ
बाहों का तुझे मैं झुला झूला दूंँ
आजा तुझे मैं सावन का मज़ा दूंँ
जले यौवन तो मैं इश्क़ बरसा दूंँ
आजा तेरा मैं तन-मन भीगा दूंँ
आ के सपने में तेरी नींदें उड़ा दूंँ
खो जाऊँ तुझमें ख़ुद को भुला दूँ
×××
©पुरुषोत्तम
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