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तेरी आँखों में मेने, जो सबसे छुप कर देखा,
सच,
ऐसा लगा जैसे आजतक मैंने कुछ नहीं देखा,
देखा जो उसमे मेने वो सपनो का संसार,
खो गया मैं भूल कर अपनी सारी हार,
चाहत उठी,
अब तुम्हे सब से छुपा कर कहीं ले जाऊ मैं,
देखता रहुँ इन्ही आँखों को देखते देखते ही मर जाऊ मैं,
या फिर बना लूँ तुम्हे अपना, और इन आँखों में सपनें सजाऊ मैं,
करना चाहू अब वो सब कुछ, जो भी तेरे लिए कर पाऊ मैं,
बना पाऊ कोई ऐसी दुनिया जहाँ,
तुम रहो मेरी बाहों में, या तुम्हारा ही साया बन जाऊ मैं,
आज देखा जो तेरी आँखों में, सबकी आँखों से छुप कर,
ऐसा लगा जैसे आजतक मेने कुछ नहीं देखा ...
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