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तुम ही कह दो ना मुझसे, अब मै तुम्हे क्या दूं।
तुम्हारे करीब रहने की तुम्हे, अब क्या मैं वजह दूं।
ग़ज़ल कह दू, शायरी कहूं, या अपनी कविताओं में तुम्हे पनाह दूं।
है जो बाते दरमिया दिल के, कह दूं दुनिया से या कुछ पन्नो में छुपा दूं।
तुम ही कह दो ना मुझसे, और मैं तुम्हे अब क्या दूं।
लिख कोई शेर तुम पर, उसे अपनी किताबो में जगह दूं।
या बना के कोई नज़्म तुम्हे, अपने लबों पे सजा दूं।
परेशां हूं इस दिल की तकलीफों से मैं,
अपने दिल-ए-हालात को, चेहरा अब किस तरह दूं।
तुम ही कह दो ना मुझसे, और मैं तुम्हे अब क्या दूं।
तुम्हारे करीब रहने की, अब क्या मैं तुम्हे वजह दूं।
तुम्हारे करीब रहने की तुम्हे, अब क्या मैं वजह दूं।
ग़ज़ल कह दू, शायरी कहूं, या अपनी कविताओं में तुम्हे पनाह दूं।
है जो बाते दरमिया दिल के, कह दूं दुनिया से या कुछ पन्नो में छुपा दूं।
तुम ही कह दो ना मुझसे, और मैं तुम्हे अब क्या दूं।
लिख कोई शेर तुम पर, उसे अपनी किताबो में जगह दूं।
या बना के कोई नज़्म तुम्हे, अपने लबों पे सजा दूं।
परेशां हूं इस दिल की तकलीफों से मैं,
अपने दिल-ए-हालात को, चेहरा अब किस तरह दूं।
तुम ही कह दो ना मुझसे, और मैं तुम्हे अब क्या दूं।
तुम्हारे करीब रहने की, अब क्या मैं तुम्हे वजह दूं।
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