
एक औरत
बेटी,बहन,पत्नी,माँ ओर ना जाने कितने रिश्ते वो निभाती है...
एक औरत अपने से ज्यादा अपनों को चाहती है
उसको समझो तो ज़रा तुम भी,
वो भी तो एक इंसान है...
वो है तो तुम भी हो, वरना औरत के बिना तुम्हारा क्या काम है।
ये खूबसूरत दुनिया जो तुम देख रहे हो
ये उसी की बदौलत है,
जिसकी वजह से तुम तुम हो,
हाँ वो एक औरत है।
हम भारत वासी हैं औरत को देवी मानते है,
लेकिन पत्थरों को पूजतें हैं ओर जिंदा औरत को पत्थर मारते हैं।
फिक्र करना वो बचपन से सिख कर आती है,
माँ जब बिमार हो तो वो पुरे घर को संभालती है।
भाई से जब झगडा हो तो पुरे घर को सर पे उठाती है,
लेकिन ससुराल में जाके वो सारी तहजीब सिख जाती है।
पति जब गुस्सा हो तो कभी कभी अपना गुस्सा छुपाती है,
अपने रिश्तों की खातिर वो सारे आंसू चुपचाप पी जाती है।
छोटी सी चुलबुली सी लडकी कब माँ बन जाती है,
अपने सपनों को भूल वो अपने बच्चों के सपनों को सजाती है।
बेटी,बहन,पत्नी,माँ ओर ना जाने कितने रिश्ते वो निभाती है...
एक औरत अपने से ज्यादा अपनों को चाहती है।
-प्रियंका सिरसवाल
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