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जब तुम पास थी तो सुकून रहता था
मेरी आँखें भी हंसती,
मेरा चेहरा खिला-खिला रहता था।
जाने वो कौन-सी बात थी तुम में
मैं नज़रें नहीं हटा पाता,
बस अपलक तुम्हें ही देखा करता था।
जागते हुए रात भर तारों से तुम्हारी बातें करता
सुबह होने को आई..सो जाओ,
तब चाँद भी मुझसे ये कहता था।
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