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अब इस सब्र का कोई सिला मिले
तुम मिलो या तुम्हें भूल जाने की दवा मिले
हमारे हिस्से ही क्यों हो हर बेकरारी
थोड़ा तुम भी तड़पो
तुम्हें भी उल्फ़त की सज़ा मिले
हम दो घड़ी मसरूफ़ क्या हुए
इतना भी एतबार न रहा
हाथ छुड़ाकर हमारा ग़ैरों के गले जा मिले
भटक रहा हूँ कब से बियाबाँ में
मुझे भी घर जाना है
दुआ करो जल्दी कोई रास्ता मिले
मुश्क़िलें सबको मालूम है मुल्क की
जो दर्द कम कर सके
अब इसे वह रहनुमा मिले
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