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।। साल की पहली बारिश ।।
साल की पहली बरसात हुई,
जिसे देख मन हो गया पुलकित,
एक बूंद ने जब मेरा स्पर्श किया,
मेरा रोम रोम हुआ आनंदित।
जब बूंदें जा मिट्टी में मिली,
पूरा वातावरण हुआ सुगंधित,
उन बूंदों से कलियां भी खिली,
फूलों पे हर्ष के भाव अंकित।
पशु पक्षी अपनी खुशियों का,
कर रहे प्रदर्शन सांकेतिक,
झूम रहे सारे पेड़ पौधे,
हर ओर का दृश्य है अलौकिक।
ये दृश्य नही कल्पना कोई,
पर सुनने में लगे ये प्रासंगिक,
मूसलाधार ऋतु तो आनी बाकी,
ये धार तो बस है प्रारंभिक।
प्रेम राज शुक्ला ।।
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