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दिल -ऐ- नादान,
मान बैठा है जिसे सबकुछ , मैं उसका कुछ हो भी नहीं सकता
बोझ जिम्मेदारियों का जो है कंधों पर , मैं तो कहीं खो भी नहीं सकता.....,.
–Praveen Dhakar ❣️
मान बैठा है जिसे सबकुछ , मैं उसका कुछ हो भी नहीं सकता
बोझ जिम्मेदारियों का जो है कंधों पर , मैं तो कहीं खो भी नहीं सकता.....,.
–Praveen Dhakar ❣️
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