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कभी फ़ुर्सत हुई उनको, तो कोई बात होगी फ़िर,
फ़िर से याद आई तो, उन्हीं की याद आनी है।
मेरी ख़ल्वत को देखा तो, वो कुछ बुदबुदाए यूँ
महफ़िल सजाए रखना, इसकी आदत पुरानी है।।
~विचार_प्रत्यक्ष
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