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संवेदनाओं के बदले तरक्की,क्या खूब मिल रही है।
धीरे-धीरे आदमी की मशीन में तब्दीली हो रही है ।।
- प्रतिमा पांडेय
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संवेदनाओं के बदले तरक्की,क्या खूब मिल रही है।
धीरे-धीरे आदमी की मशीन में तब्दीली हो रही है ।।
- प्रतिमा पांडेय
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