
Share0 Bookmarks 48 Reads0 Likes
यूं तो जब जब बजाते थे बंसीधर अपनी बंसी ,
राधा संग सारी गोपियां थीं सुध-बुध खो देतीं ।
मगर कृष्णा के प्रेम में हो गईं थीं राधा इतनी दीवानी ,
कि मोहन की मुरलिया उन्हें अब तनिक नहीं थी भाती ।
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments