Ghazal's image
Share0 Bookmarks 217483 Reads0 Likes

ग़र यह तय है मेरी हर बात तुम ग़लत समझो

तब तो बेहतर की तुम कुछ भी मत समझो


मुस्कुरा कर आज कल क्यूँ देखते हो हमें

इस रहम-ओ-करम की नहीं हमें आदत समझो


अब इसलिए भी मिलने हम आते नहीं तुम्हें

तुम्हारी यादों से नहीं मिलती है फ़ुरसत समझो


तरसते हों हर दाने को खुद बच्चे जिसके

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts