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फलसफे ज़िन्दगी के
लाख पर्दे में चुपके हैं बैठे कोई
उनकी आवाज से उनको पहचान लो
खता जो करे वह पता भी ना हो
उनके अंदाज से उनको अंजाम दो
छिप गई मंजिले बन गए फासले
गुफ्तगूं यूं करो लक्ष्य को जान लो
जो दगा दे रहे हो सगे हैं बने
देकर अक्स को उन्हें कोई ईमान दो
नफरतें सियासतें हैं फैली हुई
राज को छोड़ दो तुम कोई बयान
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