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कि दिल में कुछ अरमान लिए, आंखो ने जो सपने देखे
मै भी मुम्बई शहर आ गया, ख्वाइशों को पूरा करने।
अज्ञात था उन नियमों से, जहाँ बाहरी लोगो की जगह नही
काबिलों को मोका न दो और कहते तुम कामयाब नही।
सपनो का शहर कहते तुम, यहाँ हुनर की कद्र नही।।
हाँ खाना खा लिया माँ, अभी शूटिंग मे व्यस्त हूँ
यही कह के फ़ोन रख देता हूँ।
मारता हुँ खुद को हर रोज़ दफ़न करता हूँ
टूट गया हुँ अंदर से, था इतना पहले कमज़ोर नही।
सपनो का शहर कहते तुम, यहाँ हुनर की कद्र नही।।
वो समय अलग था जब तालियाँ गूँज उठा करती थी
एक दिन तू स्टार बनेगा, जनता यही कहा करती थी।
आज सवालों से भरा वॉट्स
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