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आसमान पर निगाह जो गई ,दो परिंदे उड़ते दिखे,
खुश हुआ यूं दिल, किसी ने साथ उड़ान भरी।
मन कुछ इस तरह मचल पड़ा, परिंदों की तरह उड़ चला।
ऐसे लगे खींचे अपनी ओर, अंबर की डोर,
जीवन की भोर हुई ,तन है विभोर,
छाई जो लालिमा , रक्तिम हुए गाल ,
किरणों की मेहंदी से, हथेलियाँ है लाल
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