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आंखों को न पढ़िए, यह भावुक हैं,भावना में बह जाएंगी ,
चेहरे से हाल-ए-दिल पूछिए ,इसे दर्द में भी मुस्कुराना आता है।
आंखें हैं निश्छल , ह्रदय का दर्पण ,
ह्रदय के हर भाव को करती प्रतिबिंबित।
चेहरा एक कुशल राजनीतिज्ञ,
परिस्थितिनुसार भावना करता दर्शित।
नाता ह्रदय और आंखों का, जैसे दीया और बाती,
हृदय अपने अंतस से उन्हें सींचे, वह फैलातीं उसकी ज्योति।
चेहरा जब हृदय की धड़कन को ना समझ पाता ,
तब आंखों को ही नि
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