ये जो मज़नू हज़ार नज़र आते हैं..'s image
Poetry1 min read

ये जो मज़नू हज़ार नज़र आते हैं..

Pragya ShuklaPragya Shukla November 15, 2021
Share0 Bookmarks 65 Reads2 Likes

ये जो मज़नू हज़ार नज़र आते है, 

बस कुछ पल के यार नज़र आते है। 


रख देते है मुहब्बत की दुनियाँ में कदम, 

वफ़ा की गलियों से कतराते नज़र आते है। 


इन्हें क्या मालूम वफ़ा के मायने, 

इश्क़ हर रोज आज़माते नज़र आते ह

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts