Share0 Bookmarks 48637 Reads1 Likes
फागुन में सब घर है आये
साजन! तुम फिर नहीं आये
सखी सहेली मुझे चिढ़ाये
तुम्हारे साजन फिर नहीं आये।
सब सखी करें हँसी ठिठोली
निज साजन संग खेले होली
सासू ननद भी ताना मारे
बहू तुम्हीं हो नखरीली।
उनको
No posts
No posts
No posts
No posts
Comments