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'क्या गज़ब करिश्मा सियासत है नाज़िरीन'
ख़्वाबों का घोंसला यहाँ तबाह हो गया
धुआं उठा ज़मीं से फ़लक स्याह हो गया,
क्या गज़ब करिश्मा सियासत है नाज़िरीन,
हर शख़्स इसकी हद में बेगुनाह हो गया।
--प्रदीप सेठ सलिल
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