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विरह वेदना कैसे बताए,
छूटे पल जो साथ बिताए,
एक क्षण में टूटे सब सपने,
हम अब कैसे फिर मुस्काए
मैं भयाता बन कर आई तुझ संग,
नैनो में कजरा, मांग सजाए,
मरता है कुछ मुझ में ऐसे,
कैसे दू सिंदूर मिटाए
शादी का जोड़ा फिर पहना,
बिंदी से माथा चमकाए,
उठ देख जरा फिर रोती हूं मैं,
कौन भला चुप मुझे कराए
एक नन्हा बालक कोख में मेरी,
बाबा उसका कौन कहलाए,
एक उंगली थामे कहता है ,
मां, बाबा अब बोलो कब आए
ये जिम्मा सारा मुझ पर डाले,
क्यूं जाता है तू हाथ छुड़ाए,
क्या इतने लम्हे थे संग जीने,
क्या ईश्वर का होता ये न्याय
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