मिजाज़'s image
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कहीं अल्फ़ाज़ नहीं मिलते,

कहीं अहसास नहीं मिलते,

हर एक से अपने मिजाज़ नहीं मिलते,


अकसर दरख़्तों पर मिलते हैं फूल,

हर एक पर यू ही गुलाब नहीं मिलते,


काफिला चला आता है रोज़ संग,

तुम जैसे क्यूं हमें बेहिसाब नहीं मिलते,


धूप छांव तो होती ही है इस जहां में,

ये दोनों क्यूं बेहिजाब नहीं मिलते,


लकीरों को हम है मिलाते मिटाते,

तेरे होने के फिर क्यूं निशान नहीं मिलते


मोहब्बत से ही तो कायनात है जिंदा,

बेरूखों को ताकी, फ़राज़ नहीं मिलते



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