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समझ के परे भी रिश्ता है कोई,
मुश्किलों के पार भी खड़ा है कोई,
जो समझ ले चेहरे के हर भाव को,
मेरी जिंदगी में मेरी मां है वही
बचपन की मार के मायने तब समझ न आए,
तब लगा कि गलती पर भी मार क्यों खाए,
आज समझ आता है तू हम में सुधार कर रही थी,
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