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लोग कहते हैं तेरी नज़रें बड़ी नीरस नज़र आती है,
कैसे कहें उनकी शोखी से ही ये पैमाने भरा करते थे
वो कहते है तेरे गालों का नूर जुदा है तुझसे,
कैसे कहें की उनके पोरों से ही इन में रंग भरा करते थे
वो कहते है की तेरे होंठों में अब वो सुर्खियत न रही,
कैसे कहे उनके होंठो से ही हम इन्हें सुर्ख किया करते थे
वो कहते है तेरे घने केसुओ में अब वो नूर न रहा,
कैसे कहें कि उन नैनों की कालिख से हम इन्हें स्याह किया करते थे
वो कहते है तेरे बदन में अब वो धमक न रहती,
कैसे कहे उनके दीदार से ही ये अंग लचका करते थे
वो कहते है तुम दिल से मिलती नही किसी से,
कैसे कहे हम बस महसूस ही उन्हें किया करते थे
वो कहते है तू क्यों इतनी खफा है खुदसे,
कैसे कहें की हम उनके संग ही जिया करते थे
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