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दर्द की आहें सिमट क्यूं नहीं जाती,
तेरी हर तकलीफ मिट क्यूं नहीं जाती,
ये माना बहना है दरिया का मक़सद,
कुछ बूंदे सिपियों में ठहर क्यूं नहीं जाती
कितना अफसोस करें अपने किए का,
घाव की दिवारे भर क्यूं नहीं जाती,
ये मान
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