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निशब्द सा, श्वेत सा, तन गिरा अचेत सा,
मानव झुंड के समक्ष, ना सांसों को भेदता,
कुछ नये, कुछ गये, चेहरों की कतार को,
कुछ खड़े दलील करते, प्राणों पर इस वार को
सीने को दबा प्रयत्न करते,सांसों की एक आहट को,
मृत शरीर मात देता,जीने की घबराहट को,
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