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मायूस नजरों से चलती अश्रुधार बताती है,
मेहबूब की स्मृतियां अब भी तेरा दिल दुखाती है
जब जब वो चेहरा यकायक स्मरण होता है,
सुलझी सी जिंदगी फिर से उलझ जाती है
आकांक्षाओं की बस्ती बसने को होती है,
मेरी झोपड़ी तूफान में अचानक उजड़ जाती है
सपनो के बादल ज्यों बरसने को चलते है,
तपती धूप उन पर चिल्लाती है
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