अर्थी's image
Share0 Bookmarks 215692 Reads0 Likes

छोटी सी जिंदगी में धड़कन सिमट रही है,

शाखो के सब्ज पत्ते धरती निगल रही है,

लक्ष्यों से भरी गागर, खुशियों से सिली चादर,

क्यूं छीन के प्रकृति प्राणों को छल रही है


वो भाई था किसी का, था किसी का जाया,

वो प्रेमी था किसी का, अब सब से हैं पराया,

ये क्

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts