चिड़िया के बच्चे की सोच's image
Poetry2 min read

चिड़िया के बच्चे की सोच

poonam14maypoonam14may May 10, 2023
Share0 Bookmarks 20 Reads0 Likes

चिड़िया के बच्चे की सोच                                 

जब तक था अण्डे के अंदर, यही सोचा करता था

सुना है जिसके बारे में क्या इतना सा है ये संसार


समय आया खिले फूल वृक्षों पर फूटी कोपलें

और अण्डे का घेरा तोड़ चिरोटे के पर फैले

घास फूस के घोंसले को देख यही सोचा करता था

सुना है जिसके बारे में क्या इतना सा है ये संसार


धीरे धीरे उस चिड़िया के बच्चे ने पढ़ना शुरू किया

अपनी चिड़िया माँ से पर फैला कर उड़ना सीख लिया

वृक्ष की एक डाल से दूसरी डाल तक का सफर उसने तय किया

और वृक्ष की डाली पर बैठ यही सोचा करता था

सुना है जिसके बारे में क्या इतना सा है ये संसार


शिक्षा का अंतिम दिन आया, चिड़िया माँ की स्वीकृति से

आज वृक्ष को छोड़कर ऊंची उड़ान भरी अंबर में

विशाल गगन के आगे लघु लगा अण्डे और घोंसले का घेरा

और देखा की इस अंबर के नीचे ही है वो वृक्ष घनेरा

जिसकी डालियों पर लगाता था कभी फेरा

और यही सोचा करता था

सुना है जिसके बारे में क्या इतना सा है ये संसार


ऊँची और ऊँची और ऊँची उड़ान भरी अंबर मे, नहीं पाया उसने पार

न आदि , न मध्य , न अंत ही पता चले, किसकी रचना है ये अपार

हार गया और समझ गया सुना था जिसके बारे में बहुत बड़ा है संसारबहुत बड़ा है सृजनहार

 

पूनम निगम

लुधियाना(पंजाब)

 

 

 


No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts