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वो देख के मुस्कुराया लगा मैं शहबाज़ शायद
तभी तो रहने लगा मैं खुश-मिजाज शायद
(शहबाज़- नौजवान)
मुझे यकीन हो चला मेरी पहली मोहब्बत पर
मुझे लगा वो बन जाएगा मेरा मुमताज़ शायद
हो चला था सब कुछ हसीन दुनिया की भीड़ में
ना था किसी चीज का मुझे ऐतराज शायद
फिर छोटी मोटी गफलत में उसे हो गई नफरत
मेरे गुस्ताख दिल से वो हो गया नाराज शायद
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