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इश्क़ करके हारे
चली जो हवा हम भी तुझमें बहने लगे
इश्क़ करके हारे खुद में सिमट कर जीने लगे।
इश्क़ की गली में हम जो आसानी से लुट गये
बारिशों की तरह मेरे रातों में आँसू बह गये।
कली जो खिली यार
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