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रंग कुछ इस तरह से चढ़ा है जगत की रीत का
उतर ही नहीं पा रहा है किसी ग़ज़ल या गीत सा
खुशियों के रंगों से भरी रहें सबकी पिचकारियां
मनुष्यों में एक-दूजे प्रति विश्वास बना रहे प्रीत का
~ पिनाक मोढ़ा
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