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कभी ख़्वाब,
कभी चाह,
कभी ख़्वाहिश कोई।
तुम वो सब हो,
होती न जो मेरी कभी।
कभी धूप,
कभी छाँव,
कभी बारिश हो तुम।
आती भी हो तों,
ठहरती नहीं
- परीक्षित
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कभी ख़्वाब,
कभी चाह,
कभी ख़्वाहिश कोई।
तुम वो सब हो,
होती न जो मेरी कभी।
कभी धूप,
कभी छाँव,
कभी बारिश हो तुम।
आती भी हो तों,
ठहरती नहीं
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