श्री राम हो जाना दुष्कर है's image
Poetry2 min read

श्री राम हो जाना दुष्कर है

Pankaz KaladharPankaz Kaladhar October 15, 2021
Share0 Bookmarks 220975 Reads0 Likes

शत्रु को गले लगा लेना 

निज आसन पर बैठा देना 

यदि बात पिता की आ जाए 

सिंहासन तक ठुकरा देना 

है सर्वविदित यह अटल सत्य कि पशुता 

और मनुजता में केवल विवेक का अंतर है 


रावण बनना तो सरल है पर 

श्री राम हो जाना दुष्कर है 


सर्वस्व चला जाने पर भी अपशब्द एक न कहता है 

निःस्तब्ध रात्रि में दर-दर वो पत्नी के साथ भटकता है 

वंचित शोषित जो जहाँ मिले आलिंगन कर रो पड़ता है 

बतलाओ यदि किसी और धरा ने ऐसा राजा देखा है 

पर्याय दशानन पामर का इक यही सत्य उसके हक़ में 

पर कर्म राम का तो मेरे दुर्लभ प्रश्नों का उत्तर है 


रावण बनना तो सरल है पर  

श्री राम हो जाना दुष्कर है 


है ध

No posts

Comments

No posts

No posts

No posts

No posts