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मेरी ज़िद मुझ पर ही नहीं चलती
तू छोड़कर सब कुछ मेरी हमसफर क्यों नहीं बनती
वैसे तो जमाना दीवाना है एक तू
ही है जिसके दिल पर मेरी कलम
नहीं चलती
एक कहानी है मेरे दिल में जिसमें
कई किरदार है हसीं उनमें से एक
किरदार तू क्यों नहीं बनती
ख़्वाबों के किरदारों की कहानी
जिदंगी की हकीकत की रील
पर क्यों नहीं चलती
सूखे मरुस्थल की जमीं से, दिल
पर चल रही आँधियाँ ,
प्रेम बरसात क्यों नहीं बनती
फासले बहुत है दो किनारों के मध्य
तेर दिल से मेरे दिल तक कश्तियाँ
क्यों नहीं चलती
उजड़ जाने पर चमन की गलियाँ
टूटे हुए बर्बाद शहर में बस्तियाँ
आबाद क्यों नहीं बनती
शेयन में है मेरा ह्रदय जगाने को
ये सड़कों पर तेरे आने की आहटें
क्यों नहीं चलती
Pankaj murenvi
@pankaj_murenvi
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