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मैनें देखा है एक शख्स
मुझे गिरकर उठना सिखाते हुए
उँगली थामे मेरी चलना सिखाते हुए
मैनें देखा है पिता को
सारी मज़बूरियों को परे रख
मुझे हर घड़ी मजबूत बनाते हुए ...
मैनें देखा है एक शख्स मुझे
निरंतर आगे बढ़ने का अर्थ समझाते हुए
दया, करुणा ,प्रेम का पाठ पढ़ाते हुए
मैंने देखा है पिता को
हर पल मुझे गोदी में उठाते हुए
मुझे गिरकर उठना सिखाते हुए
उँगली थामे मेरी चलना सिखाते हुए
मैनें देखा है पिता को
सारी मज़बूरियों को परे रख
मुझे हर घड़ी मजबूत बनाते हुए ...
मैनें देखा है एक शख्स मुझे
निरंतर आगे बढ़ने का अर्थ समझाते हुए
दया, करुणा ,प्रेम का पाठ पढ़ाते हुए
मैंने देखा है पिता को
हर पल मुझे गोदी में उठाते हुए
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